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शनि भगवान की आरती

शनि भगवान की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

श्री शनि (शनि) शांति पूजा का महत्व

शनि को सभी ग्रहों में सबसे भयानक ग्रह माना जाता है। शनि पूजा से शनि ग्रह को संतुष्ट करने का सुझाव दिया जाता है। यह कुंडली में शनि ग्रह के हानिकारक प्रभाव वाले मूल निवासी के लिए आयोजित किया जाता है। ग्रह शनि गलत स्थिति में होने पर बुरे प्रभाव प्रदान करता है।

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