आषाढ़ अमावस्या


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आषाढ़ अमावस्या 2021 – पितृकर्म अमावस्या

धार्मिक दृष्टि से, अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह दिन पितरों की शांति के लिए और दान-पुण्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। आषाढ़ मास की अमावस्या को भी विशेष माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान का बहुत महत्व है।

आषाढ़ अमावस्या व्रत एवं धार्मिक कर्म

हर अमावस्या की तरह आषाढ़ अमावस्या पर भी पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार हैं:

  • आषाढ़ अमावस्या के दिन किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य भगवान को जल देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी भी गरीब मनुष्य की सहायता करें।
  • अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाये और अपने पितरों को याद करें। पीपल की सात परिक्रमा करें।

आषाढ़ अमावस्या का महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना है। इस महीने के अंत के बाद बारिश का मौसम शुरू होता है। आषाढ़ अमावस्या को दान-पुण्य और पितरों की आत्मा के लिए किए गए धार्मिक कार्यों के लिए विशेष लाभदाई माना जाता है। इस दिन, पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से लाभ कई गुना बढ है। धार्मिक दृष्टि से अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या और शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या शनि अमावस्या कहलाती है।