बसंत पंचमी


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बसंत पंचमी 2021 की तारीख व मुहूर्त

जानते हैं 2021 में बसंत पंचमी कब है और बसंत पंचमी 2021 की तिथि व मुहूर्त। बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बड़ी ख़ुशी से मनाई जाती है। बसंत पंचमी के दिन से भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा भी की जाती है। इस दिन पूजा सूर्य निकलने के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले ही की जाती है। पूजा के इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है।

पंचमी तिथि यदि दिन के मध्य के बाद से आरम्भ हो रही हो तो ऐसी स्थिति में वसंत पंचमी की पूजा अगले दिन की जाती है। वैसे यह पूजा अगले दिन भी उसी स्थिति में होगी जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो। यानि कि पंचमी तिथि पूर्वाह्न व्यापिनी न हो। अन्य बाक़ी प्रत्येक परिस्थितियों में बसंत पंचमी की पूजा पहले दिन ही होगी। इसलिए कभी-कभी पंचांग के मुताबिक बसन्त पंचमी चतुर्थी तिथि को आ जाती है।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक आज के दिन भगवान कामदेव और देवी रति की षोडशोपचार पूजा करने की मान्यता है।

षोडशोपचार पूजा संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसंवत्सरे माघशुक्लपञ्चम्याम् अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाहं सकलपाप - क्षयपूर्वक - श्रुति -
स्मृत्युक्ताखिल - पुण्यफलोपलब्धये सौभाग्य - सुस्वास्थ्यलाभाय अविहित - काम - रति - प्रवृत्तिरोधाय मम
पत्यौ/पत्न्यां आजीवन - नवनवानुरागाय रति - कामदम्पती षोडशोपचारैः पूजयिष्ये।

बसन्त पंचमी के दिन यदि पति और पत्नी देवी रति और भगवान कामदेव की पूजा षोडशोपचार करते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में अपार ख़ुशियाँ आती हैं और साथ ही उनका रिश्ता मज़बूत होता हैं।

रति और कामदेव का ध्यान

ॐ वारणे मदनं बाण - पाशांकुशशरासनान्।
धारयन्तं जपारक्तं ध्यायेद्रक्त - विभूषणम्।।
सव्येन पतिमाश्लिष्य वामेनोत्पल - धारिणीम्।
पाणिना रमणांकस्थां रतिं सम्यग् विचिन्तयेत्।।

सरस्वती पूजा

बसंत पंचमी के दिन ऊपर बताए गए मुहूर्त के अनुसार कला, शिक्षा, साहित्य इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग विद्या की देवी सरस्वती माँ की पूजा और आराधना भी करते हैं। माता सरस्वती जी की पूजा के साथ यदि माँ सरस्वती स्त्रोत भी पढ़ा जाए तो अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं और माँ सरस्वती भी प्रसन्न होती हैं।

श्री पंचमी

बसंत पंचमी के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी (जिन्हें श्री भी कहा गया है) और प्रभु विष्णु जी की पूजा भी की जाती है। कुछ व्यक्ति माता लक्ष्मी जी और माता सरस्वती जी की पूजा एक साथ ही करते हैं। सामान्यतः व्यवसायी वर्ग या क़ारोबारी के लोग माता लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। देवी लक्ष्मी जी की पूजा के साथ श्री सू्क्त का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

ऊपर दी गईं सभी पूजाएँ पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करनी चाहिए।

एक बात जो आपको हमेशा अवश्य याद रखनी है वह यह है कि पंचमी तिथि उसी दिन मानी जाएगी जब वह पूर्वाह्नव्यापिनी होगी, यानि कि सूर्य निकलने के बाद और दिन के मध्य भाग के बीच में शुरू होगी।