आइए जानते हैं कि 2021 में भाई दूज कब है और भाई दूज की तारीख व मुहूर्त क्या रहेगा। भाई दूज त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। भाई दूज या भैया दूज त्यौहार को भाई टीका, यम द्वितीया, भतरु द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भैया दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला त्योहार है। यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन पड़ती है। इस अवसर पर, बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई बहन को शगुन के रूप में उपहार भेंट करता है। भाई दूज के दिन, मृत्यु के देवता, यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यम देव अपने निमंत्रण पर खाने के लिए अपनी बहन यमुना के घर आए थे।
भाई दूज मनाने की तिथि और नियम
भैया दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है।
- शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाया जाता है। यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है, तो भाई दूज अगले दिन मनाया जाता है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भाई दूज को अगले दिन मनाया जाना चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।
- एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भैया दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है।
- भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक और भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए।
भाई दूज पर होने वाले रीति रिवाज़ और विधि
हिंदू धर्म में त्योहार बिना रीति-रिवाजों के अधूरे होते हैं। हर त्योहार एक निश्चित तरीके और रिवाज से मनाया जाता है।
- भाई दूज के मौके पर बहनें भाई के तिलक और आरती के लिए थाली सजाती हैं। इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई और सुपारी आदि होना चाहिए।
- तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक वर्ग बनाएं।
- चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाता है और शुभ मुहूर्त होते ही बहनें उनका तिलक करती है।
- तिलक करने के बाद फूल, सुपारी, पान, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें।
- तिलक और आरती होने के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें।
भाई दूज से जुड़ीं पौराणिक कथाएं
हिंदू धर्म में सभी त्योहार पौराणिक मान्यताओं और कहानियों से जुडी हवी हैं। इसी तरह, कुछ पौराणिक कहानियां भी भाई दूज से जुड़ी हैं। ये प्राचीन कहानियाँ इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाती हैं।
यम और यमि की कथा
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, तभी से भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा शुरू हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। यमुना के कई बार बुलाने के बाद एक दिन यमराज यमुना के घर पहुँचे। इस अवसर पर यमुना ने यमराज को तिलक लगाया और उन्हें सुखी जीवन की कामना की। इसके बाद, जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर साल इस दिन मेरे घर आते रहे, और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। और इस तरह भाई दूज पर्व की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बहुत महत्व है क्योंकि यह कहा जाता है कि भाई दूज के अवसर पर, यमुना नदी में स्नान करने वाले भाई-बहन पुण्य प्राप्त करते हैं।
भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, भाई दूज के दिन, भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर को मारने के बाद द्वारका लौट आए थे। इस दिन, भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और कई दीपक जलाकर उनका स्वागत किया। सुभद्रा ने भगवान कृष्ण से माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। इस दिन से ही भाई दूज के अवसर पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व
भाई दूज का त्यौहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। दरअसल, भारत में क्षेत्रीय विविधता और संस्कृति के कारण त्योहारों के नाम थोड़े बदल जाते हैं, हालांकि भावना और महत्व समान होता हैं।
पश्चिम बंगाल में भाई दूज
पश्चिम बंगाल में, भाई दूज को भाई फोटा उत्सव के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें उपवास रखती हैं और भाई के तिलक के बाद भोजन करती हैं। तिलक के बाद, भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
महाराष्ट्र में भाई दूज पर्व
महाराष्ट्र और गोवा में, भाई दूज को भाऊ बीज के रूप में मनाया जाता है। भाऊ का मतलब मराठी में भाई होता है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और भाई की सुखी जीवन की कामना करती हैं।
उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर्व
यूपी में भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उन्हें शक्कर और बताशे देती हैं। उत्तर प्रदेश में भाई दूज में आब और सूखा नारियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है।
बिहार में भाई दूज पर्व
बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। दरअसल इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस अनुष्ठान के बाद, बहनें भाइयों को तिलक लगाती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
नेपाल में भाई दूज पर्व
नेपाल में, भाई दूज त्योहार भाई तिहार के रूप में मनाया जाता है। तिहार का अर्थ है तिलक या टीका। इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के रूप में भी मनाया जाता है। नेपाल में इस दिन, बहनें भाइयों के माथे पर सात रंगों से बने तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम को दर्शाता है। आइए, भाई दूज के मौके पर हम सभी भाई-बहनों को एक-दूसरे के साथ प्यार बांटना चाहिए और खुशहाल जीवन की कामना करनी चाहिए।