आइए जानते हैं कि 2021 में दुर्गा महा नवमी पूजा कब है और दुर्गा महा नवमी पूजा की तारीख व मुहूर्त क्या रहेगी। महानवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और आखिरी दिन है। इस दिन की शुरुआत महास्नान और षोडशोपचार पूजा से होती है। महानवमी पर देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा जाता है। इसका अर्थ है कि असुर महिषासुर का संहार करने वाली। माना जाता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं।
कब मनाई जाती है महानवमी ?
- अगर अष्टमी के दिन नवमी तिथि शुरू होती है, तो अष्टमी के दिन ही नवमी पूजा और उपवास किया जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, अगर अष्टमी और नवमी तिथि अष्टमी की शाम से पहले समाप्त हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उसी दिन अष्टमी पूजा, नवमी पूजा और संधि पूजा करने का विधान है।
दुर्गा बलिदान
दुर्गा बलिदान में देवी शक्ति को बलि चढ़ाने की प्रथा है। हालांकि, जो लोग बलि की परम्परा में विश्वास नहीं करते हैं, वे प्रतीकात्मक रूप से फल या सब्जी जैसे केले, कद्दू और ककड़ी की बलि दे सकते हैं। भारत में अधिकांश क्षेत्रों और समुदायों में पशु बलि प्रतिबंधित है।
पश्चिम बंगाल के वेल्लोर मठ में नवमी पूजा के दिन एक प्रतीक के रूप में कद्दू और गन्ने की बलि दी जाती है। दुर्गा बलिदान के लिए सफेद कद्दू का उपयोग करना कूष्माण्ड के रूप में जाना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि दुर्गा बलिदान की प्रथा हमेशा उदयव्यापिनी नवमी तिथि को ही की जानी चाहिए। निर्णय सिंधु के अनुसार, नवमी के दिन दोपहर में दुर्गा बलिदान किया जाना चाहिए।
नवमी हवन
महानवमी पर नवमी के हवन का बहुत महत्व है। यह हवन नवमी पूजा के बाद किया जाता है। नवमी हवन को चंडी गृह के रूप में भी जाना जाता है। माँ दुर्गा के भक्त नवमी हवन करते हैं और देवी शक्ति से बेहतर स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं।
ध्यान रखें कि नवमी का हवन हमेशा दोपहर में ही करना चाहिए। हवन के दौरान हर आहुति पर दुर्गा सप्तशी के 700 मंत्रों का पाठ करना चाहिए।