कजरी तीज


logo min

Kajri Teej 2021: आज है कजरी तीज, जानें इस व्रत की पूजाविधि और अन्‍य खास बातें

आइए जानते हैं कि 2021 में कजरी तीज कब है और कजरी तीज की तारीख व मुहूर्त क्या रहेगा। कजरी तीज, जिसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है, भादो माह में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। कजरी तीज मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार है। यह त्योहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार सहित हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रमुखता से मनाया जाता है। इनमें से कई क्षेत्रों में कजरी तीज को बुधि तीज और सतुरी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह, कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह व्रत विवाहित जीवन की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है।

कजरी तीज पर होने वाली परंपरा

  1. इस दिन सुहागन महिलाएं कजली तीज का उपवास पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए इस उपवास को करती हैं।
  2. कजरी तीज पर गेहूं, जौ, चना और चावल सत्तू में घी और मेवे मिलाकर कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद वे भोजन ग्रहण करके व्रत तोड़ते हैं।
  3. इस दिन गायों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है। आटे की सात लोइयां बनाई जाती हैं और घी, गुड़ उनके ऊपर रखा जाता है और गाय को खिलाने के बाद खुद खाना खाया जाता है।
  4. कजली तीज पर घर में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं इकट्ठी होकर नाचती और गाती हैं।
  5. इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा है। यूपी और बिहार में लोग ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाते हैं।

कजरी तीज की पूजा विधि

कजरी तीज के मौके पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजा से पहले, दीवार पर मिट्टी और गाय के गोबर (घी और गुड़ से बंधा) और रस्सियों के साथ नीम की टहनी के साथ एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है। तालाब में कच्चा दूध और पानी डालें और किनारे पर एक दीपक जला कर रखें। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम को शृंगार करने के बाद इस तरह से नीमड़ी माता की पूजा करें।

  1. सबसे पहले नीमड़ी माता को जल चढ़ाएं और रोली का छिड़काव करें और चावल चढ़ाएं।
  2. नीमड़ी माता के पीछे की दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदु अंगुली से लगाएं। रोजमेरी की बिंदी, रिंग फिंगर के साथ रोली और तर्जनी के साथ काजल की बिंदी लगानी चाहिए।
  3. नीमड़ी माता को मौली अर्पित करने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र अर्पित करें। दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें।
  4. कोई भी फल और दक्षिणा नीमड़ी माता को अर्पित करें और पूजा के कलश पर रोली से टिका लगा कर लच्छा बाँधें।
  5. पूजा स्थल पर तालाब के किनारे रखे दीपक की रोशनी में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी पल्ला आदि की देखे। इसके बाद चंद्रमा को जल अर्पित करे।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

कजरी तीज की शाम को नीमड़ी माता की पूजा करने के बाद चंद्रमा को जल चडाने की परंपरा है।

  1. चंद्रमा की और जल छिड़का कर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं और फिर भोग अर्पित करें।
  2. हाथ में चांदी की अंगूठी और आखे (गेहूं के दाने) लेकर अर्घ्य करें और एक स्थान पर खड़े रह कर चार बार घुमे।

कजरी तीज व्रत के नियम

  1. यह व्रत आमतौर पर बिना किसी पानी पिए किया जाता है। हालांकि, एक गर्भवती महिला फल का सेवन कर सकती है।
  2. यदि चंद्रमा को उगते हुए नहीं देखा जा सकता है, तो रात में लगभग 11:30 बजे आकाश की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
  3. उद्यापन के बाद अच्छे उपवास नहीं रखा जा रहा है तो फल खा सकते है।

उपरोक्त विधि-विधान के अनुसार, कजरी तीज का व्रत रखने से सौभाग्यशाली महिला के परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी लड़कियों को अच्छा वर मिलता है।