घटस्थापना


logo min

घटस्थापना - कलश स्थापना 2021 की तारीख व मुहूर्त

चलिए जानते हैं कि 2021 में घटस्थापना/कलश स्थापना कब है और घटस्थापना/कलश स्थापना 2021 की तारीख व मुहूर्त। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ होती है। कलश स्थापना के दिन यानी नवरात्रि के पहले दिन देवी शक्ति की पूजा के साथ की जाती है। अगर यह पूजा शुभ मुहूर्त में संपन्न हो, तो देवी प्रसन्न हो जाती हैं, इसलिए चलिए जानते हैं घटस्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधियाँ क्या है।

घटस्थापना के नियम

घटस्थापना मुहूर्त जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि इसके लिए कौन सा शुभ दिन है। तो चलिए चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का मुहूर्त निकालने की विधि को जानते हैं:

  1. सूर्य निकलने के बाद अगर एक भी मुहूर्त प्रतिपदा में होता है तो उसी दिन की सुबह से ही नवरात्रि शुरू हो जाएगी और कलश स्थापना या घटस्थापना की जाएगी।
  2. अगर सूर्य निकलने के बाद प्रतिपदा एक मुहूर्त से कम हो और बाक़ी किसी दिन न हो, तो ऐसी परिस्थिति में अमायुक्त प्रतिपदा को पहला दिन माना जाएगा।
  3. किसी दूसरी स्थिति में अमायुक्त प्रतिपदा में चैत्र नवरात्रि शुरू करना निषिद्ध माना जाता है।
  4. अगर प्रतिपदा दो दिनों के सूर्योदय में होती है तो पहले दिन का मान्य होगा, दूसरे दिन त्यौहार की शुरुआत करना वर्जित होता है।
  5. अगर पहले दिन देवी चण्डिका की पूजा करनी हो तो अमायुक्त प्रतिपदा में नहीं करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में दूसरे दिन में पड़ रही प्रतिपदा मान्य होगी।

अगर पहले दिन देवी चण्डिका की पूजा करनी हो तो अमायुक्त प्रतिपदा में नहीं करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में दूसरे दिन में पड़ रही प्रतिपदा मान्य होगी।

  1. घटस्थापना के लिए सबसे अच्छा समय दिन का पहला एक तिहाई हिस्सा है।
  2. किसी दूसरी स्थिति में अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा माना गया है।
  3. किचित्रा नक्षत्र और वैधृति योग की अवधि में घटस्थापना नहीं करना चाहिए, किन्तु यह समय पूरी तरह से वर्जित नहीं है।
  4. किसी भी परिस्थिति में घटस्थापना हिन्दू समय के अनुसार प्रतिपदा तिथि के दिन के मध्य से पहले होनी चाहिए।
  5. चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा की सुबह द्वि-स्वभाव लग्न मीन होता है, इस अवधि में भी घटस्थापना करना शुभ माना गया है।
  6. घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र हैं: पुष्या, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, हस्ता, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रवण, धनिष्ठा और पुनर्वसु।

नोट: सूर्योदय होने से 16 घंटे के बाद घटस्थापना का कार्य वर्जित है। दूसरे शब्दों में कहें तो घटस्थापना हिन्दू समय के अनुसार प्रतिपदा के दिन के मध्य से पहले होनी चाहिए।

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

  1. चौड़े मुँह वाला मिट्टी का एक बर्तन
  2. कलश
  3. सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
  4. पवित्र स्थान की मिट्टी
  5. जल (संभव हो तो गंगाजल)
  6. कलावा/मौली
  7. आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
  8. छिलके/जटा वाला नारियल
  9. सुपारी
  10. अक्षत (कच्चा साबुत चावल)
  11. पुष्प और पुष्पमाला
  12. लाल कपड़ा

ज़रूरत के तहत सामग्री बढ़ा भी सकते हैं, जैसे - मिठाई, दूर्वा, सिंदूर इत्यादि।

घटस्थापना विधि

  1. सर्वप्रथम मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएँ।
  2. अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांध दें।
  3. आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें।
  4. नारियल में कलावा लपेटे।
  5. उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें।
  6. घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् देवी का आह्वान करते हैं।

अगर आप चाहें तो अपनी इच्छा के अनुसार और भी विधिवत पूजा कर सकते हैं।

पूजा संकल्प मंत्र

नौ दिनों तक उपवास रखने वाले भक्तों को निम्नलिखित मंत्र के साथ पूजा का प्रण करना चाहिए:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

नोट: मंत्रों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। इस मंत्र में कई जगह अमुक शब्द आया है। जैसे- अमुकनामसम्वत्सरे, यहाँ पर आप अमुक की जगह संवत्सर का नाम उच्चारित करें। यदि संवत्सर का नाम सौम्या है तो इसका उच्चारण सौम्यनामसम्वत्सरे होगा। ठीक ऐसे ही अमुकवासरे में उस दिन का नाम, अमुकगोत्रः में अपने गोत्र का नाम और अमुकनामाहं में अपना नाम उच्चारित करें।

अगर पहले, दूसरे, तीसरे आदि दिनों के लिए उपवास रखा जाए, तब ऐसी स्थिति में ‘एतासु नवतिथिषु’ की जगह उस तिथि के नाम के साथ संकल्प किया जाएगा जिस तिथि को उपवास रखा जा रहा है। जैसे - यदि 7वें दिन का संकल्प करना है, तो मंत्र इस प्रकार होगा:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि सप्तम्यां तिथौ अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

ऐसे ही अष्टमी तिथि के लिए सप्तम्यां की जगह अष्टम्यां का उच्चारण होगा।

षोडशोपचार पूजा के लिए संकल्प

अगर नवरात्रि के दौरान षोडशोपचार पूजा करनी हो तो नीचे दिए गए मंत्र से प्रतिदिन पूजा का संकल्प करें:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।

इन सूचनाओं के साथ, हम आशा करते हैं कि आपको घटस्थापना करने में बहुत आसानी होगी।