पापमोचिनी एकादशी


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पापमोचनी एकादशी व्रत 2021

चलिए जानते है की 2021 में पापमोचनी एकादशी कब है व पापमोचनी एकादशी 2021 की तारीख व मुहूर्त। पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप का अंत करने वाली एकादशी। पापमोचनी एकादशी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ प्रभु विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए और किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए। पापमोचनी एकादशी के उपवास को करने से उपासक को ब्रह्महत्या, अहिंसा, मदिरापान, स्वर्ण चोरी और भ्रूणघात समेत कई संगीन पापों के दोष से मुक्ति मिलती है।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि

सभी पापों का अंत करने वाली पापमोचनी एकादशी के व्रत की पूजा विधि निम्न प्रकार से है:

  1. इस दिन सूर्योदय काल में स्नान करने के पश्चात् अपने व्रत का संकल्प करें।
  2. उसके बाद प्रभु विष्णु जी की षोडशोपचार विधि से पूजा करें और पूजन पूर्ण होने के पश्चात् भगवान विष्णुजी को चंदन, दीप, धूप और फल आदि अर्पित करके आरती करें।
  3. इस दिन गरीब निर्धन व्यक्ति व ब्राह्मणों को दान और भोजन अवश्य कराएं।
  4. इस दिन पर रात्रि के समय में निराहार(भूखे) रहकर जागरण करें और अगले दिन द्वादशी पर पारण के पश्चात् अपना व्रत खोले।

मानना है कि इस उपवास को करने से सभी पापों का अंत होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुना पुण्य भी मिलता है।

पौराणिक कथा

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अंतर्गत पुराने समय में चैत्ररथ नाम का एक बहुत सुंदर वन था। इस वन में मेधावी ऋषि तपस्या किया करते थे जो की च्यवन ऋषि के पुत्र थे। इसी जंगल में देवराज इंद्र अप्सराओं, गंधर्व कन्याओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे। मेधावी ऋषि भगवान शिव जी के भक्त और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी थीं। एक बार कामदेव ने मेधावी ऋषि जी की तपस्या को भंग करने हेतु मंजूघोषा नाम की एक अप्सरा को भेजा। उस अप्सरा ने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी ऋषि जी का ध्यान भंग कर दिया। वहीं ऋषि मेधावी भी मंजूघोषा पर मोहित हो गए। इसके बाद मेधावी ऋषि और मंजूघोषा ने अनेक वर्ष एक साथ व्यतीत किये। एक दिन जब मंजूघोषा ने जाने के लिए आज्ञा मांगी तो मेधावी ऋषि जी को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मबोध हुआ। उसके बाद क्रोधित होकर मेधावी ऋषि ने मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद मंजूघोषा उनके पैरों में गिर पड़ी और उसको दिए गए श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। अप्सरा के अनेकों बार प्रार्थना करने पर मेधावी ऋषि जी ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया और कहा इस व्रत को पुर्ण करने से तुम्हारे सारे पापों का अंत हो जाएगा और तुम पुन: अपने पहले रूप को प्राप्त कर लोगी। मंजूघोषा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे। मेधावी ऋषि श्राप वाली बात अपने पिता को बताई। श्राप की बात को सुनकर च्यवन ऋषि जी ने कहा कि- ‘’पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है, इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो।‘’

इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत पुर्ण करके अप्सरा मंजूघोषा ने अपने श्राप से और मेधावी ऋषि जी ने अपने पाप से मुक्ति पाई।