पौष पूर्णिमा व्रत


logo min

प्रदोष व्रत (शुक्ल) तिथि मुहूर्त 2021 हिंदी में (Pradosh Vrat Shukal Paksha tithi muhurat 2021 in Hindi)

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पौष महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। हिन्दू धर्म और भारतीय जनजीवन में पूर्णिमा तिथि का बहुत बड़ा महत्व है। पूर्णिमा की तिथि चाँद के प्रिय होती है और इस दिन चांद अपने पूरे रूप  में होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में पौष पूर्णिमा वाले दिन स्नान, दान और भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का खास महत्व बताया गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि पौष मास के समय में किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता पूर्णिमा के दिन नहाने से सार्थक होती है। पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा नहान का विशेष महत्व होता है।

पौष पूर्णिमा का महत्व

वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यता के अंतर्गत पौष भगवान सूर्य का महीना कहलाता है। इस महीने में भगवान  सूर्य की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लिहाजा पौष पूर्णिमा वाले दिन पावन नदियों में नहाने और भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की रीति-रिवाज है। चूंकि पौष माह भगवान सूर्य का महीना है और पूर्णिमा चाँद की तिथि है। इसलिए सूरज और चाँद का यह अद्भुत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चाँद  दोनों की पूजा करने से इच्छाएं पूरी होती है और जीवन में आने वाली समस्याए दूर होती है।

पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, जप और उपवास करने से फल की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। इस दिन भगवान  सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है।

पौष पूर्णिमा की उपवास और पूजा नियम निम्नलिखित है:

  1. पौष पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नहाने से पहले व्रत की प्रतिज्ञा लें।
  2. इस दिन पावन नदी या कुंड में नहाना चाहिए और नहाने से पहले भगवान वरुण जी को नमस्कार करें।
  3. नहाने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दे।
  4. नहाने से निवृत्त होकर प्रभु मधुसूदन जी की उपासना करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
  5. इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या पंडित को खाना खिलाएं और दान-दक्षिणा भी देनी चाहिए।
  6. दान में, गुड़, तिल, कंबल और ऊनी कपड़े  खास करके देने चाहिए।

पौष पूर्णिमा पर होने वाले आयोजन

पौष पूर्णिमा के दिन देश के विभिन्न तीर्थ स्थान पर नहाने और धार्मिक कार्यक्रम आयोजन होते हैं। पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले का आयोजन आरम्भ होता है। इस धार्मिक त्यौहार में नहाने का बड़ा महत्व बताया गया है। धार्मिक विद्वानों के मुताबिक माघ महीने के नहाने की  प्रतिज्ञा पौष पूर्णिमा के दिन लेनी  चाहिए।