माँ शैलपुत्री पूजा


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शैलपुत्री माता, नवरात्र पहिला दिवस 2021 | Shailputri Mata, Navratri First Day 2021

माँ शैलपुत्री दुर्गा के नौ रूपों में पहला रूप हैं जिनकी भक्त नवरात्रि पर्व पर पूजा करते हैं। नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा माँ के नौ रूपों को समर्पित होते हैं और इस शुभ त्योहार के पहले दिन, माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

शैलपुत्री पूजा मुहूर्त

देवी शैलपुत्री की पूजा से पहले घटस्थापना की एक प्रक्रिया की जाती है, जिसे जानने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें–घटस्थापना मुहूर्त के नियम एवं पूजा विधि

शैलपुत्री का रूप

  • माथे पर अर्ध चंद्र
  • दाहिने हाथ में त्रिशूल
  • बाएँ हाथ में कमल
  • नंदी बैल की सवारी

संस्कृत में शैलपुत्री का अर्थ है 'पर्वत की बेटी'। किंवदंती के अनुसार, माँ शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की बेटी थीं। एक बार दक्ष ने एक महायज्ञ किया, उसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भगवान शिव जी को नहीं। दूसरी ओर सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थी। शिवजी ने उन्हें बताया कि सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्हें नहीं; वहां जाना उचित नहीं है। सती के प्रबल अनुरोध को देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दी।

जब सती घर पहुंचीं, तो उन्होंने भगवान शिव जी के लिए वहा तिरस्कार का भाव देखा। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक बाते कही। इससे सती के मन में बहुत दुःख पहुंचा। वह अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और खुद को योगाग्नि से जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुन दुःख से परेशान होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ को नष्ट कर दिया। फिर इस सती ने अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं।
हिमालय के राजा का नाम हिमावत था और इसलिए देवी को हेमावती के नाम से भी जाना जाता है। माता की सवारी वृष है, इसलिए उनका एक नाम वृषारुढ़ा भी है।

ज्योतिषीय पहलू

ज्योतिषी के अनुसार, मां शैलपुत्री चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं, इसलिए उनकी पूजा से चंद्रमा पर होने वाले बुरे प्रभाव भी बेअसर हो जाते हैं।

मंत्र

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥