आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को शरद नवरात्रि मनाई जाती है। पारणा के साथ 9 दिनों तक चलने वाली शरद नवरात्रि का समापन हो जाता है। पराना मुहूर्त को लेकर शास्त्रों में कुछ मतभेद हैं कि क्या पराना नवमी को या दशमी को होगा। मीमांसा (जिसने शास्त्रों की व्याख्या की है) के अनुसार पारणा दशमी को करना चाहिए, क्योंकि कई शास्त्रों में कहा गया है कि नवमी को उपवास रखा जाता है।
यदि नवमी तिथि दो दिनों के लिए हो रही है, तो उस स्थिति में पहले दिन उपवास रखा जाएगा और दूसरे दिन पारण होगा। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। नवमी नवरात्रि पूजा का आखरी दिन है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की षोडषोपचार पूजा करके मूर्ति विसर्जन किया जाना चाहिए।
पूजा और विसर्जन के बाद ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान, दक्षिणा आदि (अपनी इच्छानुसार) देना चाहिए। साथ ही उपरोक्त चीज़ें 9 बालिकाओं को भी कन्या पूजन करके देनी चाहिए।