वैशाख पूर्णिमा व्रत


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वैशाख पूर्णिमा: Vaishakh Purnima 2021

वैशाख पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है। इस दिन दान-पुण्य जैसे कई कार्य किए जाते हैं। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान विष्णु का तेईसवां अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में वैशाख पूर्णिमा पर हुआ था, इसलिए बौद्ध धर्म को मानने वाले इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

वैशाख पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म

वैशाख पूर्णिमा पर उपवास और अच्छे काम करने से शुभ फल मिलते हैं। इस पूर्णिमा उपवास की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा उपवास के समान है लेकिन इस दिन किए जाने वाले कुछ धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार हैं-

  • वैशाख पूर्णिमा पर सुबह सूर्योदय से पहले किसी भी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • स्नान करने के बाद उपवास का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।
  • 5 या 7 जरूरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को चीनी के साथ तिल दान देने से पापों का नाश होता है।
  • इस दिन तिल के तेल के दिये जलाएं और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।
  • पुरे उपवास के दौरान सिर्फ एक ही बार भोजन करें।

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

वैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का प्रथा है, इसलिए इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा उनसे मिलने आए थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया था। इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी मुश्किलें दूर हो गई थी।