वैशाख अमावस्या


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वैशाख अमावस्या 2021

वैशाख का महीना हिंदू वर्ष का दूसरा महीना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग की शुरुआत इसी महीने से हुई थी। इसके कारण वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुत बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाती है। अमावस्या का दिन धार्मिक कार्यों, पूर्वजो के श्राद्ध और दान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं।

वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म

पूर्वजो के उद्धार और मोक्ष के लिए प्रत्येक अमावस्या पर व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किए जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं:

  1. इस दिन किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और तिल को बहते जल में प्रवाहित करें।
  2. पूर्वजों की आत्माओ को मोक्ष दिलाने के लिए और तर्पण एवं उपवास करें किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
  3. शनि जयंती भी वैशाख अमावस्या के दिन मनाई जाती है, इसलिए शनि देव की पूजा तिल, तेल और फूल आदि चढ़ाकर की जानी चाहिए।
  4. अमावस्या के दिन सुबह पीपल के पेड़ को जल अर्पित करना चाहिए और शाम को दीपक जलाना चाहिए।
  5. किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को अन्न, कपड़े और अनाज का दान करना चाहिए।

पौराणिक कथा

वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कहानी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण हुआ करता था। वह ऋषि-मुनियों और धार्मिक व्यक्तियो का सम्मान करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने एक महात्मा के मुख से सुना कि कलयुग में भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करने से ज्यादा पुण्य कुछ नहीं है। धर्मवर्ण ने इसे आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन त्याग कर यात्रा करने लगे। चलते-चलते एक दिन वह पितृलोक पहुँच गया। धर्मवर्ण के पूर्वज वहाँ बहुत संकट में थे। पूर्वजों ने उससे कहा कि हमारी हालत तुम्हारी त्याग के कारण है। क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि आप वापस जाते हैं और गृहस्थ जीवन शुरू करते हैं, बच्चे पैदा करते हैं, तो हमें राहत मिल सकती है। इसके अलावा वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करें। धर्मवर्ण ने उनसे वादा किया कि वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। इसके बाद, धर्मवर्ण ने अपने तपस्वी जीवन का त्याग किया और सांसारिक जीवन को फिर से अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान करे और अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाये।